लकड़ी चम्मच बनाने का बिजनेस शुरू करे | Start Wooden Spoon Business
लकड़ी चम्मच बिजनेस शुरू करे , प्रॉडक्शन प्रोसेस , पूंजी निवेश , लाभ , लाइसेन्स ( Lakdi Chammach Business , Wooden Spoon Business in Hindi, Plan, Machinery, Investment, Profit, license)
कोई ऐसा बिजनेस करने की सोच रहे हैं जिसमे competition कम हो , माँग अच्छी हो , माँग में निरंतर वृद्धि हो रही हो और प्रॉफ़िट भी आकर्षक हो? तो लकड़ी चम्मच बनाने का बिजनेस शुरू करना एक फायदेमंद निर्णय हो सकता हैं।
यह तो सर्वविदित हैं की सरकार द्वारा प्लास्टिक के डिस्पोज़ल चम्मच बैन करने के पश्चात आइसक्रीम खाने में प्रयुक्त होने वाले लकड़ी के फ्लैट चम्मच की माँग मे अच्छी-खासी तेजी दर्ज हुई हैं ।
आइए , विस्तार से जानते हैं इस लेख में लकड़ी चम्मच बिजनेस प्लान प्रॉफ़िट के विभिन्न पहलू ।
लकड़ी के चम्मच का मार्केट परिदृश्य | Market Scenario of Wooden Ice Cream Spoons
पश्चिमी देशों की भाँति हमारे देश में भी प्रत्येक मौसम में आइसक्रीम खाना आम हो चला हैं । इसके चलते इन डिस्पोज़ल चम्मचों के उत्पादन और बिक्री में साल दर साल बढ़ोतरी ही दर्ज हुई हैं।
चूँकि हिंदुस्तान के पश्चिमी राज्यों में , विशेष रूप से गुजरात और दिल्ली में , आइसक्रीम की खपत सर्वाधिक रहती हैं इसलिए लकड़ी के चम्मचों की सर्वाधिक माँग भी इन्ही राज्यों में रहती हैं।
देश की आंतरिक खपत के अलावा इन चम्मचों की डिमांड विदेशों में भी रहती हैं । इसलिए निर्यात करने के अवसर भी उपलब्ध हैं ।
यह चम्मच ऐसी लकड़ी से बनाए जाते हैं जिसमे नमी हों ( जो सुखी न हो ) , जो मोटी हो , वज़न में हल्की हो और जिसके काटने पर खपच्चियाँ (splinters) न निकलती हो । आइसक्रीम खाते समय मुँह में , ओठों पर , जीभ पर खपच्चियों से जख्म होने की संभावना बनी रहती है ।
यह 1 mm और 1.4 mm मोटी (Thickness) होती हैं । प्रायः 75 mm लंबाई वाले चम्मच 1 mm thickness के और 95 mm लंबाई वाले चम्मच 1.4 mm thickness के होते हैं।
लकड़ी के डिस्पोज़ल चम्मच का बिजनेस कैसे करे | How to Start a Wooden Flat Spoon Manufacturing Business
लकड़ी के डिस्पोज़ल और फ्लैट चम्मच का बिजनेस आप कई चरणों में सुनियोजित और पेशेवर ढंग से इस तरह कर सकते हैं ।
1. मार्केट रिसर्च करें | Conduct Market Research Business
किसी भी बीज़नेस कों शुरू करने से पहले मार्केट रिसर्च अवश्य करनी चाहिए । मार्केट रिसर्च से इस बिज़नेस / प्रोडक्ट से जुड़े कई पहलुओं की बेहतर जानकारी मिलती है । मार्केट रिसर्च के निष्कर्षों कों ध्यान में रख कर अपने बिज़नेस की रणनीति तय करनी होती हैं ।
मार्केट रिसर्च में इन प्रश्नों के उत्तर ढूँढने होंगे । इसके लिए आइसक्रीम पार्लर के मालिकों से, आइसक्रीम मेन्युफैक्चरर से चर्चा करनी होगी ।
- जहाँ यह उद्योग शुरू करना हैं उसके 300-400 km आसपास के क्षेत्र में कौनसे लकड़ी के चम्मच ज्यादा लोकप्रिय हैं? कहाँ से आते हैं ?
- उस क्षेत्र में और कितने लकड़ी चम्मच के निर्माता (Wooden Spoon Manufacturers) हैं ? जाहीर हैं की जिस क्षेत्र में ज़्यादा लकड़ी चम्मच उद्योग होंगे वहाँ प्रतिस्पर्धा भी ज्यादा होगी । गूगल में Wooden Ice Cream Spoons Factory Near Me लिखकर सर्च करने पर आपके क्षेत्र के निर्माताओं की जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
- उस साईज़ के चम्मच के खुदरा एवं थोक रेट क्या हैं ? इस उद्योग में प्रीमियम रेट नहीं लगा सकते; जो रेट चल रहा होगा उसी पर या उससे थोड़े कम रेट पर माल बेचना पड़ेगा । अर्थात आपको Wooden Ice Cream Spoon Price के बारे में ठीक-ठाक जानकारी इकट्ठा करनी होगी।
- उस क्षेत्र में लकड़ी चम्मच की मांग कितनी हैं? थोड़ा मुआयना करने पर मोटामाटी आइडिया लगाना मुश्किल नहीं होगा ।
- कच्चा माल ( मोटी , गीली लकड़ी ) के आपूर्तिकर्ता (suppliers) वहाँ से कितनी दूरी पर हैं? कच्चा माल लंबी दूरी से लाने के कारण ढुलाई खर्च में बढ़ोतरी होगी।
2. बिजनेस योजना बनाए | Make a Business Plan
बिना बिजनेस प्लान बनाए कोई भी व्यवसाय करना एक गंभीर भूल हैं । बिजनेस प्लान कैसे बनाएंगे ?
इन प्रश्नों के उत्तर पर्याप्त सटीकता और गंभीरता से खोजेंगे तो मार्केटिंग प्लान बनाने के लिए आवश्यक सामग्री मिल जाएगी ।
बिजनेस मॉडल
बिजनेस मॉडल कैसा होगा ? फैक्ट्री से सीधे उपभोक्ता उद्योग/प्रतिष्ठान को माल बेचा जाएगा या डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से माल की सप्लाई की जाएगी? दो में से किसी एक बिजनेस मॉडल ही चुनें । दो नाँव की सवारी लाभदायक नहीं होती , फोकस कमजोर हो जाता हैं और संसाधनों का व्यर्थ व्यय हो जाता हैं ।
कस्टमर प्रोफाइल ( संभावित ग्राहक की जानकारी )
कस्टमर किस आयुवर्ग से होंगे ? किस सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले होंगे ? उनकी आशा-आकांक्षाएं क्या हो सकती हैं ? यदि आइसक्रीम की कंपनी कस्टमर होगी तो उनके साथ बिजनेस करने की रणनीति कैसी रहेगी ? उधारी की समयसीमा क्या रहेगी ?
किमतें
चम्मचों के कितने मॉडल बनाएंगे ? उनके कीमतों की रेंज क्या रखनी होंगी ? बड़े ऑर्डर में डिस्काउंट कितना देना होगा ? ग्राहक के ऑर्डर के अनुसार डिस्काउंट का खाका क्या रहेगा ? न्यूनतम ऑर्डर की वैल्यू (रुपए में कीमत ) और साइज़ (Quantity) क्या रहेगी ? पेमेंट टर्म्स क्या रहेंगे ? अड्वान्स रकम प्रतिशत क्या रहेगा ?
कस्टमर सर्विस
ग्राहकों की शिकायतों को प्राप्त करने , उन्हे वेरीफ़ाई (verify) करने और सुलझाने के लिए सुचारु और दोहराने योग्य (repeatable) व्यवस्था क्या होगी ? उनसे संपर्क बनाए रखने हेतू क्या व्यवस्था होगी ? उनकी आपके प्रॉडक्टस में रुचि बरकरार रखने हेतू और आपके नए प्रॉडक्टस की सूचना एवं जानकारी उन्हे देने हेतू क्या व्यवस्था रहेगी ? उनकी रुचि के अनुसार नए प्रॉडक्टस बनाने के लिए क्या व्यवस्था रहेगी ?
मार्केटिंग प्लान
मार्केटिंग प्लान क्या रहेगा ? ऑनलाइन या ऑफलाइन ? भौगोलिक क्षेत्र क्या रहेगा ? निर्यात करेंगे या नहीं ? विज्ञापन और प्रॉडक्ट प्रमोशन की रणनीति क्या रहेगी ? कुल बजट का कितना हिस्सा आवंटित किया जाएगा ? मार्केटिंग खर्च की प्रभावशीलता मापने के मानदंड क्या रहेंगे ? ऑनलाइन प्रेज़न्स के लिए वेबसाईट कैसी रहेगी ? सोशल मीडिया मनेजमेंट कैसे करेंगे , किन किन सोशल प्लेटफॉर्म पर करेंगे ?
3. वित्तीय संसाधन जुटाएं | Arrange Financial Resources
अपर्याप्त वित्तीय संसाधनों से बिज़नेस की शुरुआत करना एक गंभीर गलती हैं।
बिजनेस योजना बनाते समय यह ध्यान रखना चाहिए की अनुमानित लागत वित्तीय संसाधनों से 25-30 प्रतिशत कम ही हों । कई बार ऐसा होता है की उद्यमी सारे वित्तीय संसाधन बिजनेस शुरू करनें में झोंक देते हैं । ऐसा करने से बिजनेस का कद तो बढ़ जाता हैं परन्तु उसको सुचारु ढंग से चलाने में बार बार मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैं –भवन किराया , स्टाफ एवं मजदूरों की सैलरी , कच्चे माल का भुगतान आदि समय पर नहीं हो पाता ।
पेमेंट के वादे निभाने में बार बार विफल होंने से बाजार में साख गिरती हैं और इसका बिजनेस पर विपरीत परिणाम होता हैं । एक लंबे अरसे तक यूँ ही चलता रहा तो बिजनेस निरंतर कमजोर होता जाता हैं और एक दिन खत्म हो जाता हैं ।
इसलिए कोई भी बिज़नेस शुरू करने से पहले उसमें आवश्यक वित्तीय संसाधनों का जितना हो सके उतना सटीक आकलन करना अत्यधिक जरूरी हैं।
4. स्थान का चयन करें | Select Suitable Place
स्थान के चयन में इन बिंदुओं पर गौर करना ठीक रहेगा :
- जगह residential area (रिहाइशी इलाके) में नहीं होनी चाहिए ।
- श्रमिकों की उपलब्धता होनी चाहिए ।
- वहाँ आने-जाने के लिए परिवहन सुविधाएं एवं अच्छे रास्ते होने चाहिए ।
- श्रमिकों को आने-जाने मे सुविधाजनक होनी चाहिए ।
- पानी एवं बिजली की आपूर्ति निरंतर रहनी चाहिए ।
5. आवश्यक लाइसेन्स एवं पंजीकरण प्राप्त करें | Get Legal Business Registrations
- शुरुआती दौर में बिजनेस को एकल स्वामित्व वाली फर्म (proprietorship firm) रखते हुए GST पंजीकरण करवाएं । उचित लगे तो अपनी पत्नी के साथ partnership firm भी बना सकते हैं । इसमें आप चार्टर्ड अकाउन्टन्ट की सहायता ले सकते हैं । शुरुआत में ही GST पंजीकरण अनिवार्य तो नहीं हैं परन्तु पंजीकृत होने के फायदे ज्यादा हैं । एकल स्वामित्व वाली फर्म के लिए आपका पर्सनल PAN कार्ड पर्याप्त हैं । परन्तु partnership firm के लिए फर्म के नाम का अलग से एक PAN कार्ड बनवाना होगा ।
- भारत में यह बिजनेस करने के लिए आरा मिल (Saw Mill) का लाइसेन्स राज्य वन विभाग से प्राप्त करना होता हैं जिसके लिए आप ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
- उद्यम रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं हैं । परन्तु इसे करना चाहिए । यह मुफ़्त में आप स्वयं ही ऑनलाइन कर सकते हैं । उद्यम रजिस्ट्रेशन हेतु इस लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं ।
6. मशीनरी खरीदें | Purchase Machinery
इस बिजनेस में लगने वाली मशीनें , औज़ार और ऑफिस उपकरण इस प्रकार हैं :
- एक टेबल टॉप, 3-फेज 3000 वाट इलेक्ट्रिक चैन सॉ मशीन (Chain Saw Machine)
- कुंदों की बाह्य छाल छीलने के लिए हाथ से चलने वाले औज़ार
- एक Peeling Machine, लकड़ी के कुंदे/बोटे की भीतरी मुलायम छाल निकालने हेतू
- एक कंप्युटर और प्रिंटर
- एक इलेक्ट्रॉनिक वजन करने की मशीन
- जर्मन मशीन (German Machine) , प्लाई पट्टों से चम्मच काटने के लिए
7. कर्मचारियों की नियुक्ति करें | Assemble a Team of Employees
यह श्रमप्रधान उद्योग हैं । इस में मैनपावर ज्यादा लगेगी ।
- बिल , delivery challan , स्टॉक स्टेटमेंट , बैंकिंग इत्यादि काम करने हेतू एक पूर्णकालिक महिला क्लर्क जो कंप्युटर काम से भलीभांति परिचित हों
- मशीन का रखरखाव, डाई की सेटिंग इत्यादि टेक्निकल कार्यों के लिए एक पूर्णकालिक श्रमिक जिसने फिटर ट्रैड में आईटीआई किया हों
- मशीन चलाने हेतू (Machine Operator) दो कुशल श्रमिक
- सात पूर्णकालिक पुरुष हेल्पर
- दो पूर्णकालिक महिला हेल्पर
8. कच्चा माल खरीदें | Buy Raw Materials
चम्मच बनाने के लिए गीली , ताजी , वज़न में हल्की और मोटी लकड़ी चाहिए । पॉपलर (Poplar) लकड़ी चम्मच बनाने हेतू श्रेष्ठ मानी जाती हैं ।
पॉपलर (Poplar) पेड़ की खेती भारत के पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड , हिमाचल प्रदेश , उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल , जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश में की जाती हैं।
इस लकड़ी से माचिस की तीली ((Match Sticks) , क्रिकेट का बल्ला, उसके विकेट , कैरमबोर्ड , उसकी गोटी इत्यादि समान बनाएं जाते हैं ।
खेल का समान बनाने वाले उद्योग (Sports Industry), कागज उद्योग (Paper Industry) और प्लाईवूड उद्योग (Plywood Industry) में इस लकड़ी की माँग रहती हैं।
यमुनानगर (हरियाणा) और होशियारपुर (पंजाब) इस लकड़ी की प्रमुख मण्डियाँ हैं ।
इन मण्डियों में पॉपलर पेड़ के रेट इस प्रकार हैं :
- 14 इंच घेरे से कम – रु 1050-1100 प्रति क्विंटल
- 14 इंच घेरे से अधिक – रु 1330-1350 प्रति क्विंटल
9. उत्पादन शुरू करें | Start Production
प्रोडक्शन प्रोसेस के सारे चरणों में अच्छा तालमेल साधने हेतू निरंतर प्रयत्न करने चाहिए। इससे उत्पादन खर्च पर नियंत्रण रखने में आसानी होती हैं ।
उत्पादन खर्च न्यूनतम स्तर पर बनाए रखने के लिए यह करें :
- प्रोडक्शन प्रोसेस के प्रत्येक चरण से संबंधित आँकड़े इकट्ठा करें
- प्रोडक्शन में विभिन्न गतिविधियां सम्पन्न करने में कितना समय लगता हैं , कितने श्रमिक – घंटे लगते हैं , कितना कच्चा माल लगता हैं, कितनी इलेक्ट्रिक पावर लगती हैं – यह सारे आँकड़े इकट्ठा करें
- 1000 चम्मच बनाने के लिए आने वाले खर्च की गणना करें
- प्रायः विभिन्न कारणों के चलते प्रोडक्शन में रुकावटें आती हैं । रुकावटों के दौरान प्रोडक्शन बंद रहता हैं , परंतु सारे खर्च तो चालू ही रहते हैं । लाभ /प्रॉफ़िट का प्रतिशत बढ़ाने हेतू इन डाउनटाइम (production downtime) को न्यूनतम स्तर पर रखने को प्राथमिकता देनी चाहिए ।
आरम्भ में ही सारे कर्मचारी नियुक्त न करें । जैसे जैसे काम आगे बढ़ता हैं वैसे वैसे कर्मचारी नियुक्त करते जाएं । उदाहरण के लिए , शुरुआती समय में सारी मशीनें एक साथ चलानी जरूरी नहीं हैं। एक के बाद एक चलाने से कम लेबर लगेगी और लेबर खर्च में बचत होगी ।
फिर जब बढ़ती हुई माँग के चलते प्रोडक्शन बढ़ाना पड़ता हैं तो सारी मशीनें चलती रखने हेतू जितनी मैनपावर की आवश्यकता पड़ती हैं उतनी मैनपावर रखना उचित होगा।
10. मार्केटिंग योजना को कार्यान्वित करें | Execute Marketing Plan
इस बिजनेस में आपको कहीं डिस्ट्रीब्यूटर के जरिए रीटेल विक्रेताओं तक पहुंचना होगा तो कहीं सीधे आइसक्रीम निर्माताओं से व्यापारिक संबंध बनाने होंगे ।
Flipkart , Amazon जैसे ऑनलाइन मार्केट प्लेस के जरिए उपभोक्ताओं तक पहुँचा जा सकता हैं ।
थोक एवं खुदरा व्यापारियों तक पहुँचने हेतू indiamart.com और tradeindia.com जैसे ऑनलाइन बी टू बी (B to B, Business to Business) प्लैट्फॉर्म पर रजिस्टर करना उचित रहेगा।
लकड़ी के चम्मचों का निर्यात भी होता हैं भारत से । हमारे चम्मच मिडल ईस्ट के देशों में , श्रीलंका , नेपाल , बांग्ला देश और अफ्रीकी देशों में बहुत निर्यात होते हैं ।
निर्यात करने हेतू exportersindia.com पर अपनी फर्म रजिस्टर करे ।
लकड़ी के डिस्पोज़ल आइसक्रीम चम्मच कैसे बनते हैं | Manufacturing Process of Flat Wooden Ice Cream Spoons
पहला चरण: लकड़ी के 17 इंच लंबे बोटे (Logs) काटना
पहले चरण में, मोटी लकड़ी से 17 इंच लम्बाई के बोटे/लट्ठे /कुन्दे काटे जाते हैं । इस प्रक्रिया में एक कुशल श्रमिक एवं दो हेल्पर (अकुशल श्रमिक) साथ मिलकर 3-फेज इलेक्ट्रिक चेन आरा मशीन (two man chain saw machine) से काटते हैं।
17 इंच ही क्यों ?
इन बोटों से पीलिंग प्रोसेस में जो प्लाई-पट्टे बनेंगे उनकी कुल लंबाई और दाएं , बाएं , मिडल में जो कुल मार्जिन छोड़ा जाएगा इन सबको जोड़कर मोटा-माटी 17 इंच की लंबाई बनती हैं ।
95 mm चम्मच के लिए :
- 3.75 इंच के 4 पट्टे = 15 इंच (3.75 इंच = 95 mm)
- 0.75 इंच मार्जिन दाएं छोर पर
- 0.5 इंच मार्जिन बाएं छोर पर
- 0.25 इंच मार्जिन 3 बार , प्रत्येक दो पट्टों के बीच = 0.75 इंच
कुल योग 15 + 0.75 + 0.5 + 0.75 = 17 इंच
दूसरा चरण: बोटों की बाहरी खुरदरी छाल मैनुअली निकालना
दूसरे चरण में , बोटों की बाहरी खुरदरी छाल निकाली जाती हैं । आवश्यकतानुसार 2 या 3 पुरुष हेल्पर इस काम में लगाए जातें हैं । वे हाथ में पकड़ने वाले औज़ार , हैन्ड टूल की मदद से बाहरी छाल मैनुअली निकालते हैं।
उपर की तस्वीरों में छाल निकालने के पहले और बाद बोटें कैसे दिखते हैं यह दर्शाया जाता हैं ।
बाह्य छाल क्यों निकालनी होती हैं ? खुरदरी और हार्ड होने की वजह से उसके अखण्ड लम्बे प्लाई – पट्टे नहीं बन सकते इसलिए वैसे भी उन्हे इस्तेमाल नहीं किया जा सकता । दूसरी वजह यह है की जो पीलिंग मशीन होती हैं उस पर बाहरी छाल निकालेंगे तो मशीन की कटर ब्लैड को नुकसान पहुंचेगा ।
बाहरी छाल निकले हुए बोटों को अगले चरण की प्रोसेस के लिए पीलिंग मशीन के पास एक जगह रच कर रख दिया जाता हैं।
तीसरा चरण: पीलिंग मशीन (Peeling Machine) से आंतरिक मुलायम छाल के प्लाई पट्टे (Strips) बनाना
बोटों की आंतरिक मुलायम, सफेद, महीन और लम्बी पट्टानुमा छाल निकालने वाली मशीन पीलिंग मशीन (Peeling Machine) के नाम से जानी जाती हैं और वो ऐसे दिखती हैं।
तीसरे चरण में बोटों को एक के बाद एक , पीलिंग मशीन पर लोड किया जाता हैं जहाँ स्पिन्डल बोटे को एक निश्चित स्पीड पर गोल घुमाती हैं।
घूमते बोटे से एक कटर ब्लैड का संपर्क कराया जाता हैं । संपर्क शुरुआत में धीमे से कराया जाता हैं , क्योंकी बोटे का घेरा (Diameter) अनियमित और ऊबड़-खाबड़ होता हैं । जब घेरे का शुरुआती अनियमित भाग कटर से पूर्णतया निकल जाता हैं तब अंदरूनी मुलायम छाल के 4 अखण्ड प्लाई-पट्टे – प्रत्येक 95 mm चौडा – निकलने शुरू हो जाते हैं।
प्लाई-पट्टे बनने का सिलसिला तब तक जारी रहता हैं जब तक बोटा 1.5-2 इंच diameter शेष नहीं रह जाता । यह आखिरी हिस्सा काम मे नहीं आता हैं और इसे स्क्रैप के रेट में बेचना पड़ता हैं।
ध्यान मे रखने वाली बात यह हैं की बोटे का बाहरी खुरदरी छाल वाला हिस्सा , शुरुआती अनियमित अंदरूनी हिस्सा और अंतिम 1.5 – 2 इंच diameter वाला हिस्सा बेकार ही जाता हैं । टेढ़ीमेडी एवं गठान वाली लकड़ी में स्क्रैप ज्यादा निकलेगा ।
इस व्यय को न्यूनतम स्तर पर रखने हेतू जहाँ तक सम्भव हों , सीधी लकड़ी ही खरीदनी चाहिए – परिणामस्वरूप , मुनाफा घटेगा ।
चौथा चरण: प्लाई पट्टे का भंडारण (Storage) सुरक्षित जगह पर करना
चूँकि प्लाई पट्टों की लम्बाई बोटों के घेरे की साइज़ पर निर्भर करती हैं और चूँकि बोटों के घेरे साइज़ में भिन्न होते हैं , इसलिए प्लाई पट्टों की लंबाई एकसमान नहीं होती ।
जैसे ही यह पट्टे पीलिंग मशीन से निकलते हैं , दो हेल्पर उन्हें एक निश्चित स्थान पर दीवार से सटा कर, एक के उपर एक इस तरह से रचा कर रख देते हैं । यही पट्टों के भंडारण करने का तरीका होता हैं।
पाँचवा चरण: जर्मन मशीन (German Machine) में प्लाई पट्टे से चम्मच काटना
यह मशीन बहुत हद तक पावर प्रेस मशीन जैसा दिखता हैं और काम भी वैसे ही करता हैं। यूँ कहो की यह एक विशेष काम करने हेतू बनाई गई प्रेस मशीन (Special Purpose Press) हैं .
अंदाजन 80-100 पट्टों की गड्डी एक के बाद एक जर्मन मशीन में पीछे से आगे की ओर धकेली जाती हैं । आगे एक रैम (Ram) होता हैं जो सीधी रेखा में तेजी से उपर-नीचे गतिमान होता हैं । इस रैम पर चम्मच के मॉडल / प्रकार की डाई बंधी होती हैं। डाई पट्टों से एक स्ट्रोक में एक साथ कईं चम्मच काट देती हैं ।
सामने जो हॉपर जैसा रैम से जुड़ा लम्बा हिस्सा हैं उसमें कटे चम्मच इकट्ठा होते रहते हैं और वहाँ से बाहर नीचे की ओर फेक दी हाती हैं।
यह मशीन बहुत तेजी से काम करती हैं – एक मिनट में 100 स्ट्रोक लगाती हैं । यदि 100 पट्टों की गड्डी इस मशीन में डाली जाती हैं तो 1 स्ट्रोक में 100 चम्मच बनेंगे और एक मिनट में 10000 !
हालाँकि किसी भी प्रॉडक्शन प्रोसेस में एक प्रोसेस की क्षमता (Process Capability) का आंकड़ा होता हैं और एक वास्तविक परिस्थितियों में प्राप्त होने वाले प्रॉडक्शन का आंकड़ा होता हैं जो की क्षमता से कम होता हैं । इस लिहाज से 10000 चम्मच प्रति मिनट यह हुई क्षमता और एक गड्डी में 20 पट्टों के हिसाब से प्रति मिनट वास्तविक प्रॉडक्शन का आंकड़ा हुआ 100 गुणा 20 यानि की 2000 चम्मच !
न्यूनतम 2000 चम्मच प्रति मिनट के हिसाब से एक 8 घंटों की शिफ्ट में ( 7 घंटे 20 मिनट वास्तविक वर्किंग ) प्रॉडक्शन निकलेगा 8 लाख 80 हजार चम्मच ! परंतु यह आँकड़ा तब ही लागू रहेगा जब उतनी बड़ी मात्रा में कच्चा माल भी खरीदा जाएगा ।
मतलब यह हुआ की मशीन की क्षमता अवरोध नहीं हैं – कार्यशील पूंजी की उपलब्धता ही मुख्य अवरोध हैं !
छठा चरण: कटे हुए चम्मचों को सुखाना
जो नमी छाल निकालने तथा चम्मच काटने की प्रक्रिया में सहायक थी वही नमी अब एक नकारात्मक चीज बन जाती हैं , क्योंकी इन्हे सुखाए बगैर मार्केट में नहीं भेजा जा सकता ।
क्यों नहीं भेजा जा सकता ?
एक तो नमी की वजह से इनकी मात्रा (Quantity) की गणना वज़न के आधार पर नहीं की जा सकती और दूसरे बंद पैकेट में नमी फफूंद के फलने-फूलने का सबब बन जाती हैं। यह दोनों ही अस्वीकार्य है , इसलिए चम्मचों को धूप में सूखाना अनिवार्य हो जाता हैं।
नीचे वाली तस्वीर में बताया हैं की कैसे प्लास्टिक की बड़ी तिरपाल पर लकड़ी चम्मच धूप में सुखाए जा रहे हैं।
सातवाँ चरण: सूखे हुए चम्मचों के बंडल (Bundle) बनाना
अब चम्मच बन कर तैयार है ।
परंतु मार्केट में कोई उत्पाद भला बगैर पॅकिंग के बिकता हैं ?
10 चम्मच रबड़ बैंड से लपेट कर एक गड्डी बनाई जाती हैं । ऐसी 10 गड्डियाँ बड़ी रबड़ बैंड से लपेट कर 1000 चम्मचों का एक बन्डल बनाया जाता हैं । 10 बन्डल एक प्लास्टिक पन्नी में पैक कीए जाते हैं ।
यह बन्डल बनाने का काम आस पास के घरों में बाँट दिया जाता हैं । उन्हें तौल कर माल दिया जाता हैं और तौल कर ही वापस लिया जाता हैं। ऐसा करने से पॅकिंग खर्च कम आता हैं। इसे जॉब वर्क (Job Work) भी कहतें हैं और बन्डल बनाने वालों को वेंडर (vendor) ।
आठवाँ चरण: चम्मचों के बंडलों की प्लास्टिक बैग में पॅकिंग करना
अंत में प्लास्टिक के बड़े थैलों में ऐसे 10000 चमचों के कईं पैकेट पैक कीए जाते हैं।
इस काम में सटीक गणना करने की आवश्यकता होती हैं । इसलिए यह काम फैक्ट्री के अंदर ही अपने कर्मचारियों द्वारा करवाना उचित रहता हैं।
नौवां चरण: तयार चम्मचों को गोडाउन में भंडारण (Stock) करना
इस अंतिम चरण में पॅकिंग किया हुआ सारा तैयार माल अच्छे से एक अलग एरिया में स्टॉक किया जाता हैं , जहाँ से ऑर्डर आने पर माल डिस्पैच किया जाता हैं ।
यह अलायदा गोडाउन हो सकता हैं या फैक्ट्री का ही कोई ऐसा रूम होना चाहिए जहाँ कुछ व्यक्तिविशेष को ही जाने की अनुमति हों ।
इस गोडाउन में रखे माल का सटीक ब्योरा रखना और अग्नि बीमा निकालना अत्यधिक आवश्यक हैं । आग लगने पर जो नुकसान होगा उसका सही और जल्द आकलन करने में स्टॉक के सही आँकड़े बहुत ही मददगार साबित होते हैं ।
लकड़ी के चम्मच की मैन्युफेक्चरिंग का प्रोसेस फ़्लो चार्ट
लकड़ी चम्मच बिजनेस के लिए कुल पूंजी निवेश
निम्न तालिका में दर्शाया हैं की प्लांट एण्ड मशीनरी पर कुल पूंजी निवेश कितना करना होगा ।
Investment Item | Quantity | Rate Per (Rs) | Total Cost(Rs) |
---|---|---|---|
Two Man Chain Saw Machine with Table | 1 no | 70,000 | 70,000 |
German Machine | 1 no | 1,65,000 | 1,65,000 |
Peeling Machine | 1 no | 1,50,000 | 1,50,000 |
Hand Tools for Manual Peeling | 6 nos | 1,000 | 6,000 |
PC and Printer | 1 Set | 43,000 | 43,000 |
Electronic Weighing Scale | 1 no | 10,000 | 10,000 |
Furniture & Fixtures | 1 Set | 10,000 | 10,000 |
Electrical & Mechanical Installation | 1 set | 10,000 | 10,000 |
4,64,000 | |||
Investment Item | Quantity | Rate Per (Rs) | Total Cost(Rs) |
इसके अलावा 7-8 लाख रुपयों का निवेश कच्चा माल खरीदने में होगा ।
कच्चे माल के लिए दो विकल्प हैं – किसी किसान से उसके खेत के पॉपलर पेड़ अग्रिम रकम दे कर खरीद ले या फिर लकड़ मण्डी (Timber Market) से खरीद ले ।
इस प्रकार कुल पूंजी निवेश होगा रु 4,64,000 + 7,00,000 = 11,64,000 यानि की राउंड फिगर में 12 लाख रुपये ।
लकड़ी चम्मच बिजनेस का वित्तीय विश्लेषण | Financial Analysis of Manufacture of Wooden Spoons
यह व्यापार कईं स्तर पर किया जा सकता हैं – सूक्ष्म , छोटे , मध्यम , बड़े और विशाल स्तर पर। इसलिए सटीकता के साथ यह कहना कठिन होगा की प्रत्येक खर्च कितना रहेगा।
हालाँकि मोटे तौर पर कच्चा माल, वेतन , किराया , जॉब वर्क , बिजली , ब्याज और परचुरन चीजों पर होने वाले खर्चों का कुल उत्पादन खर्च में कितना प्रतिशत योगदान रह सकता यह निम्न आकृति में दिखाया गया हैं। व्यापार के विभिन्न स्तरों में यह खर्च दर्शाया हैं उससे बहुत अधिक भिन्न नहीं होगा।
यह सारे खर्च विशाल स्तर के बिजनेस में सूक्ष्म उद्योग की अपेक्षा 2 से 5 प्रतिशत कम रहेंगे ।
इस पाई चार्ट से यह स्पष्ट दिखता हैं की उत्पादन खर्च घटाने हेतू कच्चा माल एवं सैलरी पर होने वाला खर्चों को नियंत्रित करना अधिक प्रभावी रहेगा, क्योंकी 80 प्रतिशत उत्पादन खर्च इन दो खर्चों की बदौलत ही हैं ।
लकड़ी चम्मच व्यापार से लाभ
यदि पेशेवर तरीके से किया जाए तो इस बिजनेस से 1,30,000 रुपए से 2,00,000 रुपए तक प्रति माह कमाएं जा सकते हैं। यदि विस्तार किया जाए तो इससे भी अधिक लाभ कमाने की अपार संभावनाएं इस व्यापार में हैं । परन्तु पहले अपने भौगोलिक क्षेत्र में व्यापारिक सफलता पाने के बाद विस्तार पर ध्यान केंद्रित करना उचित रहेगा ।
निम्न पाई चार्ट बताता हैं की इस बिजनेस में लाभ और खर्च का प्रतिशत कितना रहेगा ।
डिस्पोज़ल लकड़ी चम्मच बनाने के बिजनेस में जोखिम
जोखिम लिए बगैर कोई व्यवसाय नहीं किया जा सकता। जितना ज्यादा जोखिम उतनी ज्यादा कमाई ऐसा सीधा फार्मूला हैं।
इस व्यवसाय में जोखिम अपेक्षाकृत कम ही हैं क्यों की प्लांट एवं मशीनरी में निवेश कम हैं और माँग में भी निरंतर बढ़ोतरी हो रही हैं।
क्वालिटी, प्राइस पॉइंट, और प्रभावी प्रॉडक्शन रणनीति के दम पर जोखिम पर विजय प्राप्त की जा सकती हैं। धैर्य से काम करने से परिणाम प्राप्ति की संभावना अत्यधिक बढ़ जाती हैं।
इस व्यवसाय में सबसे बड़ा जोखिम आग लगने से होने वाली क्षति हैं। आग लगने पर लकड़ी का माल बचने की संभावना नहीं के बराबर है ।
परंतु पर्याप्त अग्नि बीमा निकलवाने से कुछ हद तक क्षतिपूर्ति की जा सकती हैं।
लकड़ी चम्मच बनाने के बिजनेस के गुण-दोष
गुण | दोष |
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बढ़ती माँग वाला बिज़नेस | उत्पाद में भिन्नता लाने के अवसर नहीं के बराबर |
सूक्ष्म, लघु, मध्यम, बड़े सभी स्तर पर किया जा सकता हैं | इस उद्योग में प्रवेश करने के लिए अधिक अवरोध नहीं हैं |
विशाल भौगोलिक क्षेत्र में पैंठ बनाना सम्भव | सतत उत्पादन प्रणाली के अनुकूल नहीं हैं, ऑटोमेशन के अनुकूल नहीं हैं |
विशेष टेक्निकल कौशल्य की आवश्यकता नहीं | यह श्रमप्रधान उद्योग हैं , श्रमिकों पर निर्भरता अधिक |
कच्चा माल एवं मशीनरी देश में ही प्रचुर मात्रा में उपलब्ध | आकर्षक मुनाफे के लिए कच्चे माल की मण्डी से निकटता जरूरी |
ऑफिस स्टाफ की आवश्यकता नहीं | वर्षा ऋतु में लकड़ी की उपलब्धता कम होने से बिक्री पर नकारात्मक असर |
कम निवेश में अधिक लाभ | कच्चा माल देश के केवल उत्तरी ठण्डे हिस्से में उपलब्ध |
ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग पर अधिक खर्च करने की आवश्यकता नहीं | क्वालिटी कंट्रोल पर तवज्जो देने की आवश्यकता नहीं |
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FAQs
लकड़ी के चम्मच बनाने का बिजनेस क्या हैं ?
इस बिजनेस में आइसक्रीम खाने के लिए इस्तेमाल होने वाले लकड़ी के फ्लैट चम्मच का उत्पादन पीलिंग मशीन और जर्मन मशीन की मदद से किया जाता हैं।
लकड़ी के चम्मच बनाने के बिजनेस में शुरुआती निवेश कितना होगा ?
लकड़ी के चम्मच बनाने के बिजनेस में आरम्भ में प्लांट एण्ड मशीनरी और लकड़ी का कच्चा माल दोनों मिलाकर रु 12-13 लाख निवेश करने होंगे ।
क्या लकड़ी के चम्मच बनाने का बिजनेस लाभदायक हैं?
लकड़ी के चम्मच बनाने का बिजनेस न केवल लाभदायक हैं अपितु अत्यंत कम स्पर्धात्मक भी हैं। इसमे 7,25,000 रुपए के मासिक बिक्री पर 2,00,000 रुपये का आकर्षक प्रॉफ़िट प्राप्त किया जा सकता हैं ।
लकड़ी के चम्मच बनाने के बिजनेस के लिए कुछ लाइसेन्स या पंजीकरण की आवश्यकता होगी ?
लकड़ी चम्मच बनाने का बिजनेस शुरू करने के लिए आरा मिल (Saw Mill) का लाइसेन्स राज्य वन विभाग से प्राप्त करना होगा । GST registration भी करना होगा।