बिज़नेस का उद्देश्य क्या हैं? | What is the Purpose of Business
प्रेरणा एक ऐसी भावना हैं जिसका जितना भी महत्व बताया जाए उतना कम हैं।
एक प्रेरित आदमी अपनी क्षमता से इतना अधिक कुछ कर गुज़रता हैं की उसे भी आश्चर्य होता हैं की वाकई में उसी ने वह किया हैं!
हम भले ही महान न हों परन्तु महानता की संभावनाएं हम अवश्य हैं। हमने अब तक भले ही महान कार्य न किए हों पर यदि प्रेरित हो कर किसी राह पर चल पड़ेंगे तो अपने आप को बहुत पीछे छोड़ देंगे।
इस लेख में हम पीटर ड्रकर के बिज़नेस का उद्देश्य क्या हैं (What is the purpose of business?) इस क्वोट से प्रेरणा लेंगे।
पीटर ड्रकर 1909-2005
यदि आप पीटर ड्रकर के बारे में नहीं जानते तो आपको जानना चाहिए की उन्हे आधुनिक बिज़नेस मैनेजमेंट थ्योरी का आविष्कारक माना जाता हैं। 39 बिज़नेस मैनेजमेंट पुस्तकों के लेखक पीटर ड्रकर इतिहास के महानतम बिज़नेस मैनेजमेंट विचारक थे।
पीटर ड्रकर का क्वॉट | Purpose of Business
बिज़नेस के इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण क्वोट का श्रेय उन्हे दिया जाता हैं।
हिन्दी में इस कथन का अनुवाद कुछ ऐसा हो सकता हैं:
लगभग 68 वर्ष पूर्व 1954 में अपनी पुस्तक ‘द प्रैक्टिस ऑफ मैनेजमेन्ट’ (The Practice of Management) में उन्होंने यह लिखा था।
उनका यह कथन उस समय का हैं जब बिज़नेस के केंद्र में धन कमाना होता था। उस समय बिज़नेस में जो रणनीतियाँ बनाई जाती थी उनके केंद्र में किसी न किसी रूप में धन ही होता था।
इस कथन ने बिज़नेस मैनेजमेंट के इतिहास में पहली बार ग्राहक को केंद्र में ला कर खड़ा कर दिया। इस कथन ने नया नज़रिया दिया की ग्राहक कारक हैं और धन परिणाम। ग्राहक ही किसी भी बिज़नेस की कमाई का स्त्रोत हैं , नहीं की धन। धन ग्राहक से नहीं बल्कि ग्राहक से धन बनता हैं।
पीटर ड्रकर की पुस्तक ‘द प्रैक्टिस ऑफ मैनेजमेन्ट’
68 वर्ष बाद भी आज कईं बिज़नेस हैं जो ‘द प्रैक्टिस ऑफ मैनेजमेन्ट’ (The Practice of Management) पुस्तक में प्रतिपादित इस आधारभूत अवधारणा को समझ नहीं पाएं हैं।
पीटर ड्रकर के नज़रिए में ग्राहक की परिभाषा यह हैं:
ग्राहक वह हैं जो किसी बिज़नेस को उसके उत्पाद या सेवा के ऐवज में धन देता हैं
जो लोग धन दे कर उत्पाद (product) या सेवा (service) नहीं खरीदते उन्हे ग्राहक नहीं कहा जा सकता। यदि वे धन का भुगतान किए बगैर किसी उत्पाद या सेवा का अप्रत्यक्ष रूप से इस्तेमाल कर रहें हों तो उन्हे ग्राहक नहीं ‘यूजर’ कहा जाएगा। आप उन्हें ‘विज़िटर’ कह सकते हैं, ‘संभावित ग्राहक’ भी कह सकते हैं।
जब तक वे धन नहीं देते तब तक उन्हे ग्राहक नहीं कहा जा सकता और जब तक वे ग्राहक नहीं बनेंगे आपके बिज़नेस के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होंगी।
पीटर ड्रकर की मार्केटिंग की परिभाषा
तो यह बात स्पष्ट हैं की पहले संभावित ग्राहकों को ग्राहक बनाना होगा। इसके लिए उन्हें आकर्षित करना होगा , लुभाना होगा। इस आकर्षित करने के कार्य को ही बिज़नेस मैनेजमेंट में मार्केटिंग कहते हैं।
किसी भी बिज़नेस आस्थापना के मार्केटिंग विभाग की जिम्मेदारी होती हैं की वह अपने उत्पाद या सेवा की मार्केटिंग करें और ‘संभावित ग्राहकों’ को ग्राहक बनने के लिए प्रेरित करें।
मार्केटिंग में सबसे पहला चरण होता हैं ‘संभावित ग्राहकों’ का ध्यान खींचना (attention प्राप्त करना)। इसके लिए विज्ञापन का सहारा लिया जाता हैं।
जब किसी दुकान में बड़ी संख्या में लोग आते हैं तो मार्केटिंग के दृष्टिकोण से हम कह सकते हैं की वह दुकान ‘संभावित ग्राहकों’का ध्यान खींचने में सफल हुई हैं।
किसी वेबसाइट पर ज्यादा विज़िटर आते हैं तो कह सकते हैं की उनका ध्यान खींचने में वेबसाइट सफल हुई हैं।
इसी पुस्तक में पीटर ड्रकर आगे लिखते हैं की बिज़नेस का दूसरा कार्य जो की इनोवेशन (innovation) हैं उसकी जिम्मेदारी ‘संभावित ग्राहकों’ के मन में परिवर्तन लाना हैं। यह परिवर्तन विचारों में या नज़रिए में लाना होता हैं। ऐसा परिवर्तन जिससे संभावित ग्राहकों को उत्पाद या सेवा में ‘मूल्य’ (value) नजर आने लगें।
उत्पाद के तीन महत्वपूर्ण पहलू होते हैं: उसकी विशेषताएं (features), कीमत (price) और मूल्य (value)। विशेषताएं वे कार्य हैं जो आपका उत्पाद करता हैं जैसे मोबाईल का कैमरा हाई रिजोल्यूशन तस्वीर खींचता हैं यह उसकी विशेषता हुई। रुपए 25000 उसकी कीमत हुई। परन्तु मूल्य का आकलन कैसे करेंगे?
मूल्य का आकलन नहीं किया जा सकता, उसे केवल महसूस किया जा सकता हैं। यह ग्राहक के ‘भावना-विश्व’ से जुड़ी चीज हैं। केवल ग्राहक ही उसे भावना के रूप में अनुभव कर सकता हैं। उस मोबाईल से हाई रिजोल्यूशन तस्वीरें खींच कर वह अपनी रचनात्मकता दिखा सकता हैं और उस रचनात्मकता से गहन संतुष्टि एवं आनंद का अनुभव कर सकता हैं। उसके जीवन का कोई हिस्सा अधिक समृद्ध बन सकता हैं। यह भावनाएं ही उसके लिए मूल्य हैं।
जब संभावित ग्राहक मानसिक रूप से उस ‘मूल्य’ के ऐवज में उसकी ‘कीमत’ (price) अदा करने के सौदे को अपने लिए लाभदायक मान लेता हैं तो वह ग्राहक बनने को राजी हो जाता हैं।
उसने ‘विज़िटर’ से ‘संभावित ग्राहक’ और ‘संभावित ग्राहक’ से ‘ग्राहक बनने को राज़ी’ इतना सफर तय कर लिया हैं। यह सफर तय करने में उसे मार्केटिंग एवं इनोवेशन ने ना केवल प्रेरित किया हैं बल्कि प्रभावित भी किया हैं और मदद भी की हैं।
इसके बाद वह धन देता हैं और उत्पाद या सेवा प्राप्त कर लेता हैं। इसी चरण को बिज़नेस में ‘बेचना’ (selling) कहते हैं।
मार्केटिंग और सेलिंग (Selling) में क्या फर्क हैं ?
मार्केटिंग और बेचना (selling) दोनों एकदूसरे से भिन्न हैं। मार्केटिंग एक मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया हैं जब की बेचना (selling) एक ‘लेनदेन’ की (transactional) प्रक्रिया हैं।
बेचने (selling) की प्रक्रिया में ग्राहक बनने को राज़ी व्यक्ति के लिए ‘लेनदेन’ को (transaction) सरल और सुविधाजनक बनाना इतना ही होता हैं। जैसे ही ग्राहक बनने को राज़ी व्यक्ति धन एवं उत्पाद का ‘लेनदेन’ (transaction) वाली प्रक्रिया पूरी करता हैं तब वह ग्राहक बन जाता हैं।
पीटर ड्रकर का बिजनेस मैनेजमेंट थ्योरी में योगदान
पीटर ड्रकर ने बिज़नेस को ग्राहकलक्षी बनाना चाहिए इस बात पर अत्यधिक जोर दिया। ‘बिज़नेस का उद्देश्य ग्राहक बनाना और उसे बनाए रखना हैं’ इस मैनेजमेन्ट अवधारणा के स्वीकृति के बाद ही ‘ग्राहकलक्षी’, ‘ग्राहकोंन्मुख’ (customer oriented), ‘ग्राहक केंद्रित’ (customer-centric), ‘ग्राहक हितैषी’ (customer-friendly), ग्राहक अनुभव (customer experience), ‘प्रयोगकर्ता अनुभव’ (user experience) जैसे ग्राहकों का महत्व बताने वाले कईं शब्दों का जन्म हुआ। आज 68 वर्ष बाद यह शब्द आम हैं।
वर्तमान में engineering , technology, डिजाइन , बिज़नेस हर क्षेत्र में ग्राहक और उसकी आवश्यकताओं को केंद्र में रख कर रणनीतियाँ और योजनाएं बनाई जाती हैं। इसका श्रेय पीटर ड्रकर मैनेजमेंट थ्योरी को ही जाता हैं।
पीटर ड्रकर जैसे कम ही मैनेजमेन्ट विचारक होंगे जिन्होंने ना केवल मैनेजमेन्ट बल्कि अन्य कईं विषयों को इतना प्रभावित किया हो। उनके कुछ चुनिंदा क्वोट्स आपको निश्चित ही प्रेरित करेंगे :
” Results are obtained by exploiting opportunities, not by solving problems.”
” Business has only two functions-marketing and innovation ”
” The best way to predict your future is to create it ”
पीटर ड्रकर की पुस्तक The Practice of Management अवश्य पढ़नी चाहिए। यह ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों ही जगह उपलब्ध हैं। इसे औडियो बुक, पेपर बैक या हार्ड कवर संस्करण में खरीदा जा सकता हैं। (Purpose of Business)
यह भी पढें :